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11 अग॰ 2014

त्रिपति बालाजी यात्रा ...कविता में ...डॉ.ओ.पी.व्यास

त्रिपति बालाजी यात्रा ..[ डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र. ]
[ दक्षिण भारत के मन्दिरों में आंध्रप्रदेश में श्री त्रिपती बालाजी का भव्य और सुंदर मन्दिर है इस मन्दिर की भक्तों में बहुत आस्था और मान्यता है उस मन्दिर की सुंदर झांकी आपकी सेवा में पस्तुत है ....]

अति विशाल मंदिर तिरुपति का, भव्य और है अति सुंदर॥

स्वर्णिम शिखर, सुनहरे, सुंदर, मनहर छवि ,मूर्ति अंदर॥

बड़ी ,बड़ी गैलरियां विशाल, और अति कमाल के सुंदर कक्ष॥

सीढ़ीदार बैठकों की ,व्यवस्था, अब हम सब के ही , है समक्ष॥

भक्त जनों को ,प्रतीक्षा में, आता है , आनंद बहुत॥

बारम्बार ,प्रसाद को पाकर, पाते परमानन्द बहुत॥

कभी दूध , कभी चाय,भात है, कभी दूध , मीठा मिलता॥

कोई यात्री, ना घबराता, कोई ज़रा भी ना हिलता॥

कई, कई , घंटों के बाद , द्वार सभी हैं खुल जाते॥

तिरूपति स्वामी, भक्त जनों को, दर्शन को फिर बुलबाते॥

चलते हुए, असंख्य गली से, शीतल जल पीते , पीते॥

चलते ,जाते ,पंक्ति बद्ध सब, क्षण समान , घण्टे बीते॥

अब मिलने की घड़ी आ गई , जिसकी ,सब को आस है॥

प्रभु , अब भक्तों की, सीमा में , कोई ना जिनका ,व्यास है॥ 

और तभी, वह क्षण भी आया, प्रभु से साक्षात्कार हुआ॥ 

स्वप्न, संजोया गया जीवन का, लीजे, अब साकार हुआ॥

सभी, भक्त, निज व्यथा ,कथा को, प्रभु को, शीघ्र सूना देते॥ 

स्वीकृति , स्वामी, की ,मिल जाती , मानो , सभी मना लेते ॥ 

अब, सब के ,चेहरों की चिंता, सारी ही क़ाफूर हुई॥ 

सब ,थकान ,हुई दूर ,कामना, भक्त जनों ,की पूर हुई ॥ 

सुंदर , सुंदर ,कई हैं ,मन्दिर, एक से एक ,बने सुंदर॥

दर्शन से, जग जातीं खुशियाँ , हर जन के बाहर अंदर॥

योग ,आ गया ,प्रभु दर्शन का , इससे, बड़ा, क्या योग है॥ 

मानव, जीवन, के पाने का, क्या बढ़ कर ,उपयोग है॥ 

अब प्रसाद ,लाड़ू पाने की, घड़ी , शुभ घड़ी ,आई है॥ 

आप भी जल्दी पा लें ,भैय्या, “ व्यास “ ने जो निधि पाई है॥ 
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डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र. 20/4/2004रविवार ...

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद